अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत ने इतिहास रच दिया है। भारत का पहला निजी रॉकेट विक्रम-एस (Vikram-S) आज लॉन्च किया गया। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में यह पहली बार है, जब किसी निजी रॉकेट (Private Rocket) ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी है। इसके साथ, स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) रॉकेट विकसित करने और उड़ाने वाली भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बन गई है। विक्रम-एस रॉकेट ने आज सुबह 11.30 बजे श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया। इसे मिशन प्रारंभ (Mission Prarambh) नाम दिया गया है। आइए जानते हैं इस मिशन से जुड़ी अहम बातें।
विक्रम-एस रॉकेट को हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया गया है। इसका नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक श्री विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है। कंपनी के सीईओ और सह-संस्थापक नागा भरत डाका ने मीडिया को बताया कि विक्रम-एस रॉकेट सिंगल-स्टेज सब-ऑर्बिटल लॉन्च व्हीकल है, जो 3 ग्राहक पेलोड ले जाएगा। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक लॉन्चिंग सफल रही है।
Presenting to you, the riveting moments of India’s first private rocket launch. Watch the beauty of Vikram-S lift-off unfolding before your eyes, captured by the highspeed camera at over 1,000 frames per second. #Prarambh #OpeningSpaceForAll pic.twitter.com/jBKE0a23p2
— Skyroot Aerospace (@SkyrootA) November 20, 2022
कंपनी 3 विक्रम रॉकेट डिजाइन कर रही है, जिसमें क्रायोजेनिक ईंधन का इस्तेमाल होगा। विक्रम-एस रॉकेट की बात करें तो इसका वजन 545 किलोग्राम है। यह 6 मीटर लंबा रॉकेट है। अपनी पहली उड़ान में इसने स्पेस किड्ज इंडिया, बाजुमाक आर्मेनिया और एन-स्पेस टेक इंडिया के 3 उपग्रहों को ले जाया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया था, कि रॉकेट के प्रक्षेपण से 3 घंटे पहले उलटी गिनती शुरू हो गई थी। स्काईरूट एयरोस्पेस रॉकेट विकसित करने और उड़ाने वाली भारत की पहली निजी क्षेत्र की कंपनी बनने के लिए तैयार है। हैदराबाद स्थित इस रॉकेट स्टार्टअप की स्थापना जून 2018 में पवन कुमार चंदना और नागा भरत डाका ने की थी। अब तक कंपनी ने 526 करोड़ रुपए जुटाए हैं और कंपनी में करीब 200 कर्मचारी हैं।
लॉन्चिंग के दौरान स्काईरूट के अधिकारी और इसरो के प्रतिनिधि समेत सरकार से जुड़े लोग मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने इसे नई शुरुआत बताया। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नई शुरुआत बताया। इस सफलता से भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। विश्व के अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत को नई पहचान मिलेगी।
